अ. क्र. |
नाम |
मराठी अर्थ
|
१ |
विश्वम् |
सर्व विश्वाचे कारणरूप
|
२ |
विष्णूः |
जो सर्वत्र व्याप्त आहे
|
३ |
वषट्कारः |
ज्याचं उद्देशाने यज्ञात वशटक्रिया केली जाते , जो यज्ञस्वरूप आहे
|
४ |
भूतभव्यभवत्प्रभुः |
भूत, वर्तमान आणि भविष्याचा स्वामी
|
५ |
भूतकृत् |
सर्व सजीवांचा निर्माता
|
६ |
भूतभृत् |
सर्व सजीवांचा पालनकर्ता
|
७ |
भावः |
प्रपंच रूपाने उत्पन्न होणारा
|
८ |
भूतात्मा |
सर्व जीवांचा आत्मा, सर्वांतरयामी
|
९ |
भूतभावनः |
सर्व जीवांच्या जन्म आणि अभिवृद्धीस कारणीभूत
|
१० |
पूतात्मा |
पवित्र आत्मा
|
११ |
परमात्मा |
देवांचा देव, श्रेष्ठ नित्य शुद्ध बद्धमुक्त आत्मा,
|
१२ |
मुक्तानां परमा गतिः |
मुक्त पुरुषाची परम गती, जीवन्मुक्त आत्म्यांंचे परम लक्ष्य
|
१३ |
अव्ययः |
कधीही नाश न होणारा
|
१४ |
पुरुषः |
शरीरात राहणारा, पूर्ण पुरुषत्व असलेला
|
१५ |
साक्षी |
स्वता:च्या ज्ञानाने पाहणारा
|
१६ |
क्षेत्रज्ञः |
शरीराला जाणणारा
|
१७ |
अक्षरः |
ज्याचा नाश होऊ शकत नाही तो
|
१८ |
योगः |
जो योग भावात वसलेला आहे, जो योगा द्वारे जाणता येऊ शकतो तो
|
१९ |
योगविदां नेता |
योग्यांचा मार्गदर्शक/नेतृत्व करणारा
|
२० |
प्रधानपुरुषेश्वरः |
मूळ प्रकृतीचा ज्ञाता ईश्वर
|
२१ |
नारसिंहवपुः |
जो नृसिंहरुपी आणि मनुष्यरूपी देहधारी आहे असा ईश्वर
|
२२ |
श्रीमान् |
लक्ष्मीयुक्त, हृदयावर लक्ष्मीला धारण करणारा
|
२३ |
केशवः |
केशी राक्षसाचा संहारकर्ता, सुंदर कुरळे केस असलेला,
|
२४ |
पुरुषोत्तमः |
क्षार व अक्षर या दोन्ही पैकी श्रेष्ठ, सर्व पुरुषांत उत्तम असलेला पूर्णपुरुष
|
२५ |
सर्वः |
जो सर्वकाळी सर्वत्र आहे
|
२६ |
शर्वः |
प्रलयकाळी रुद्ररूपाने सर्व संहारक
|
२७ |
शिवः |
जो पूर्णपणे शुद्ध आहे, जो शिवस्वरूप आहे
|
२८ |
स्थाणुः |
अचल, ठाम आणि स्थिर आहे
|
२९ |
भूतादिः |
प्राणिमात्रांचे आदीकारण जो पंचमहाभूतात आहे
|
३० |
निधिरव्ययः |
प्रलयकाळी सर्व प्राणिमात्र ज्यात विलीन होतात
|
३१ |
सम्भवः |
स्वेच्छेने पुन्हा पुन्हा जन्मणारा
|
३२ |
भावनः |
आपल्या भक्तांना सर्वकाही देणारा
|
३३ |
भर्ता |
सर्व जग नियंता
|
३४ |
प्रभवः |
दिव्या जन्म धारण करणारा, पंचमहाभूताचे मूळ
|
३५ |
प्रभुः |
सर्वशक्तिमान परमेश्वर
|
३६ |
ईश्वरः |
उपाधिरहित ऐश्वर्य असलेला, जो सर्वकाही करू शकतो
|
३७ |
स्वयम्भूः |
स्वतःचा स्वतः निर्माता असणारा
|
३८ |
शम्भुः |
शुभ कर्ता
|
३९ |
आदित्यः |
बारा आदित्य पैकी विष्णूचे नाव नाव असलेला आदित्य, सूर्य/सूर्या सम
|
४० |
पुष्कराक्षः |
कमल नयन
|
४१ |
महास्वनः |
वेदरूप गर्जना कर्ता आवाज असणारा
|
४२ |
अनादि-निधनः |
ज्याचाना जन्म झालाना अंत होणार आहे
|
४३ |
धाता |
विश्वाचे धारण करणारा
|
४४ |
विधाता |
कर्म व कर्मफलाचा निर्माता, सुष्टीकर्ता
|
४५ |
धातुरुत्तमः |
सर्व प्रपंच धारण करणारा सर्वश्रेष्ठ, (परमाणू, पदार्थाचे सूक्ष्मस्वरूप)
|
४६ |
अप्रमेयः |
ज्याचे मोजमाप होऊ शकत नाही असा तो
|
४७ |
हृषीकेशः |
इंद्रियांचा स्वामी, इंद्रियांवर विजय मिळवलेला
|
४८ |
पद्मनाभः |
ज्याच्या नाभीतून कमळ उगवले आहे तो
|
४९ |
अमरप्रभुः |
देवांचाही देव
|
५० |
विश्वकर्मा |
सृष्टीचा निर्माता
|
५१ |
मनुः |
महर्षी मनू, वेदमंत्र स्वरूप
|
५२ |
त्वष्टा |
संहारकाळी प्राण्यांना क्षीण करणारा
|
५३ |
स्थविष्ठः |
स्थूलरूपी
|
५४ |
स्थविरो ध्रुवः |
अत्यंत प्राचीन, स्थिर
|
५५ |
अग्राह्यः |
इंद्रियातीत, सहज न कळणारा
|
५६ |
शाश्वतः |
ज्याचे अस्तित्त्व कायम आहे
|
५७ |
कृष्णः |
सावळा, सच्चिदानंद,
|
५८ |
लोहिताक्षः |
लाल डोळ्यांचा
|
५९ |
प्रतर्दनः |
विनाशकर्ता
|
६० |
प्रभूतः |
सार्वभौम, पूर्णस्वरूप
|
६१ |
त्रिकाकुब्धाम |
वर, खाली व मध्ये अशा तिन्ही दिशांचे आश्रयस्थान
|
६२ |
पवित्रम् |
हृदयाला (चित्त) शुद्ध करणारा
|
६३ |
मंगलं-परम् |
अशुभ नष्ट करून शुभ देणारा, अत्यंत शुभ
|
६४ |
ईशानः |
पंचमहाभूताचा स्वामी,
|
६५ |
प्राणदः |
प्राणदान देणारा (प्राणाचे रक्षण करणारा)
|
६६ |
प्राणः |
जीवनशक्ती
|
६७ |
ज्येष्ठः |
सर्वात प्रथम/सर्वात मोठा
|
६८ |
श्रेष्ठः |
सर्वोत्तम, दिव्य-भव्य
|
६९ |
प्रजापतिः |
सर्व जीवजंतूचा स्वामी
|
७० |
हिरण्यगर्भः |
ब्रह्मदेवाचा आत्मा, सर्व ब्रह्मांडांंचा केंद्रबिंदू
|
७१ |
भूगर्भः |
पृथ्वीला धारण करणारा
|
७२ |
माधवः |
लक्ष्मीपती
|
७३ |
मधुसूदनः |
मधू-कैटभ राक्षसांंचा नाश करणारा
|
७४ |
ईश्वरः |
देवता
|
७५ |
विक्रमी |
शूर-वीर, सर्व विक्रमांचा स्वामी
|
७६ |
धन्वी |
दैवी धनुष्यधारी, शारंगधनुष्य धारी
|
७७ |
मेधावी |
मेधा म्हणजे धारणशक्तीचा स्वामी
|
७८ |
विक्रमः |
गरुडावर बसून सर्वत्र फिरणारा
|
७९ |
क्रमः |
चालना देणारा
|
८० |
अनुत्तमः |
सर्वश्रेष्ठ
|
८१ |
दुराधर्षः |
ज्याच्यावर हल्ला/आक्रमण होऊ शकत नाही असा तो, अजिंक्य
|
८२ |
कृतज्ञः |
सर्व कर्मांचा कर्ता, सर्व प्राण्यांची कर्मे जाणणारा
|
८३ |
कृतिः |
कृतीचा आधार
|
८४ |
आत्मवान् |
आपल्याच महिम्यात राहणारा, सर्व जगतात अंतर्भूत असलेला
|
८५ |
सुरेशः |
देवांचा स्वामी
|
८६ |
शरणम् |
आश्रयदाता
|
८७ |
शर्म |
परमानंद स्वरूप
|
८८ |
विश्वरेताः |
अनंत ब्रह्मांंडाचं बिज
|
८९ |
प्रजाभवः |
सकल मनुष्यजनांचा निर्माता
|
९० |
अहः |
प्रकाशरूप, काळ स्वरूप
|
९१ |
संवत्सरः |
काळरूप
|
९२ |
व्यालः |
सर्परूप (चपळ)
|
९३ |
प्रत्ययः |
ज्याच्या अस्तित्त्वाचा प्रत्यय येतो
|
९४ |
सर्वदर्शनः |
जो सर्वकाही पहातो
|
९५ |
अजः |
अजन्मा
|
९६ |
सर्वेश्वरः |
सर्वांचा नियंता
|
९७ |
सिद्धः |
जो स्वयंसिद्ध आहे
|
९८ |
सिद्धिः |
जो सर्व दाता आहे
|
९९ |
सर्वादिः |
जगताच्या पूर्वीपासूनचा
|
१०० |
अच्युतः |
ज्याचे पतन होऊ शकत नाही, (जो भक्तांचे पतन होऊ देत नाही)
|
१०१ |
वृषाकपिः |
धर्म व वराह रूप
|
१०२ |
अमेयात्मा |
ज्याचे मोजमाप होऊ शकत नाही.
|
१०३ |
सर्वयोगविनिसृतः |
जो विविध योग मार्गाने जाणला जाऊ शकतो.
|
१०४ |
वसुः |
जो सर्व भूतांच्या (सजीव-प्राणिमात्रांच्या) ठायी वसतो
|
१०५ |
वसुमनाः |
ज्याचे ठाई ऐश्वर्य, संपत्ती आहे. ज्याच्या मनाला कोणतेही विकार स्पर्श करू शकत नाहीत.
|
१०६ |
सत्यः |
अंतिम सत्य. सज्जनांचा हितकारक.
|
१०७ |
समात्मा |
जो भेदभाव न करता सर्वांशी एक समान वागतो. सर्वांच्या अंतरंगात एक समान वसलेला.
|
१०८ |
सम्मितः |
सर्वमान्य. जो सर्व योग्य पदार्थांनी जाणला जाऊ शकतो.
|
१०९ |
समः |
जो सर्व काळी, सर्व स्थळी, सर्वत्र एकसम असलेला.
|
११० |
अमोघः |
ज्याचे स्तवन, पूजन उपयुक्त आहे असा तो. ज्याचे संकल्प सत्यात उतरतात.
|
१११ |
पुण्डरीकाक्षः |
कमलनयन असलेला. हृदयरूपी कमळात वसणारा.
|
११२ |
वृषकर्मा |
ज्याची सर्व कर्मे धर्मानुसार असतात असा तो.
|
११३ |
वृषाकृतिः |
धर्मासाठी अवतार धारण करणारा.
|
११४ |
रुद्रः |
शिवस्वरूप. रौद्ररूप. अंतिम काळी पापासंबंधी पश्चाताप करायला लावणारा.
|
११५ |
बहुशिरः |
अनेक मस्तके असणारा.
|
११६ |
बभ्रुः |
जगाचे पालन-पोषण करणारा.
|
११७ |
विश्वयोनिः |
ब्रह्मांंडाचा गर्भ. ज्याच्या उदरातून ब्रह्मांडाची उत्पत्ती झाली.
|
११८ |
शुचिश्रवाः |
जो सर्वकाही चांगलं ऐकतो, जाणतो. ज्याचे श्रवण करणे पवित्र मानले जाते.
|
११९ |
अमृतः |
अमर. अमृतस्वरूप.
|
१२० |
शाश्वतः-स्थाणुः |
जो शाश्वत आणि स्थिर आहे.
|
१२१ |
वरारोहः |
ज्याच्या मांड्या श्रेष्ठ आहेत
|
१२२ |
महातपः |
ज्याचे सृष्टविषयीचे ज्ञान श्रेष्ठ आहे. ज्याचे तप, ऐश्वर्यादी ज्ञान श्रेष्ठ आहे
|
१२३ |
सर्वगः |
सर्वव्यापी
|
१२४ |
सर्वविद्भानुः |
सर्वज्ञानी, तेजोमय
|
१२५ |
विष्वक्सेनः |
ज्याच्या विरुद्ध कोणीही टिकू शकत नाही.
|
१२६ |
जनार्दनः |
भक्त ज्याची आराधना करतात. जो भक्तांना आनंदादी सुख देतो.
|
१२७ |
वेदः |
वेदस्वरूप
|
१२८ |
वेदविद् |
वेद जाणणारा
|
१२९ |
अव्यंगः |
परिपूर्ण
|
१३० |
वेदांगः |
वेद ज्याचे अंग आहेत
|
१३१ |
वेदवित् |
वेदांचा विचार करणारा
|
१३२ |
कविः |
सर्वकाही जाणणारा
|
१३३ |
लोकाध्यक्षः |
सर्व लोकांचा प्रमुख.
|
१३४ |
सुराध्यक्षः |
सर्व देवांचा प्रमुख
|
१३५ |
धर्माध्यक्षः |
सर्व धर्मांचा प्रमुख
|
१३६ |
कृताकृतः |
कार्यकारणरूप
|
१३७ |
चतुरात्मा |
चार प्रमुख शक्तींचे स्वरूप
|
१३८ |
चतुर्व्यूहः |
चार प्रकारचे रूप (वासुदेव, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध आणि संकर्षण)असणारा
|
१३९ |
चतुर्दंष्ट्रः |
नृसिंहासारख्या चार सुळ्या असणारा.
|
१४० |
चतुर्भुजः |
चार हात (लक्ष्मीसह) असणारा
|
१४१ |
भ्राजिष्णुः |
तेजस्वी
|
१४२ |
भोजनम् |
He who is the sense-objects
|
१४३ |
भोक्ता |
उपभोग घेणारा
|
१४४ |
सहिष्णुः |
सहिष्णुता असणारा
|
१४५ |
जगदादिजः |
ब्रह्मांडाच्या निर्मिती पूर्वीपासूनचा
|
१४६ |
अनघः |
दोष-पाप रहित
|
१४७ |
विजयः |
नित्य विजेता
|
१४८ |
जेता |
सर्वकाही जिंकणारा
|
१४९ |
विश्वयोनिः |
विश्वाचे उत्पत्तीस्थान
|
१५० |
पुनर्वसुः |
पुन्हा पुन्हा नित्य स्थापन होणारा
|
१५१ |
उपेन्द्रः |
इंद्रापेक्षा श्रेष्ठ
|
१५२ |
वामनः |
वामन अवतारी
|
१५३ |
प्रांशुः |
महाकाय
|
१५४ |
अमोघः |
श्रेष्ठ कृत्य करणारा
|
१५५ |
शुचिः |
अत्यंत शुद्ध आणि पवित्र
|
१५६ |
ऊर्जितः |
नित्य बल आणि ऐश्वर्य युक्त
|
१५७ |
अतीन्द्रः |
इंद्राच्याही पुढे
|
१५८ |
संग्रहः |
प्रलयकाळी सर्वकाही शुभ ज्याच्यात समावतो तो
|
१५९ |
सर्गः |
जगाच्या उत्पत्तीस कारणीभूत
|
१६० |
धृतात्मा |
विकाराच्या आधीन न होता आपले मूळरूप कायम ठेवणारा
|
१६१ |
नियमः |
सर्व ब्रह्मांडाचे, शास्त्राचे उचित नियम ज्याच्यात आहेत तो
|
१६२ |
यमः |
प्रलयकाळी सर्वकाही नष्ट करणारा
|
१६३ |
वेद्यः |
जाणून घेण्यास योग्य
|
१६४ |
वैद्यः |
चिकित्सक
|
१६५ |
सदायोगी |
योगी पुरुष
|
१६६ |
वीरहा |
महा-वीर
|
१६७ |
माधवः |
लक्ष्मी-पती
|
१६८ |
मधुः |
मधासारखा उत्तम गोड
|
१६९ |
अतीन्द्रियः |
इंद्रियातीत
|
१७० |
महामायः |
माया त्याच्यापुढे क्षुल्लक आहे
|
१७१ |
महोत्साहः |
उत्स्फूर्त, ज्याच्या प्राप्तीने उत्साह वाढतो
|
१७२ |
महाबलः |
ज्याच्यापेक्षा बलवान कुणीही नाही
|
१७३ |
महाबुद्धिः |
परमज्ञानी
|
१७४ |
महावीर्यः |
महा पराक्रमी
|
१७५ |
महाशक्तिः |
अति बलवान
|
१७६ |
महाद्युतिः |
अति तेजस्वी
|
१७७ |
अनिर्देश्यवपुः |
ज्याचे निश्चित वर्णन करणे अवघड आहे
|
१७८ |
श्रीमान् |
ऐश्वर्ययुक्त
|
१७९ |
अमेयात्मा |
ज्याचे मोजमाप करता येत नाही
|
१८० |
महाद्रिधृक् |
मोठमोठे पर्वत सहज धारण करणारा
|
१८१ |
महेष्वासः |
अजस्र शारङ्ग धनुर्धारी
|
१८२ |
महीभर्ता |
धरणी/भूमातेचा पती
|
१८३ |
श्रीनिवासः |
जेथे शरीलक्ष्मीचा नित्य वास असतो
|
१८४ |
सतां गतिः |
सज्जनांचा मार्गदर्शक, सत्पुरुषांचे अंतिम ध्येय
|
१८५ |
अनिरुद्धः |
ज्याला कुणीही रोखू शकत नाही
|
१८६ |
सुरानन्दः |
देव/सज्जनांना आनंद देणारा
|
१८७ |
गोविन्दः |
गोपालक, गोरक्षक किंवा पृथ्वीचा स्वामी
|
१८८ |
गोविदां-पतिः |
महाज्ञानी पुरुषांचा स्वामी
|
१८९ |
मरीचिः |
सूर्य/तेज/प्रकाश स्वरूप
|
१९० |
दमनः |
विनाशक/अवगुणांचं दमन करणारा
|
१९१ |
हंसः |
राजहंस
|
१९२ |
सुपर्णः |
सुंदर पंख युक्त किंवा गरुड स्वरूप
|
१९३ |
भुजगोत्तमः |
सापातील उत्तम असा तो
|
१९४ |
हिरण्यनाभः |
ब्रह्मांंड
|
१९५ |
सुतपाः |
सर्वोत्तम प्रकारचे तप
|
१९६ |
पद्मनाभः |
नाभीत कमल असलेला
|
१९७ |
प्रजापतिः |
सजीवांचा स्वामी
|
१९८ |
अमृत्युः |
ज्याचा मृत्यू होत नाही
|
१९९ |
सर्वदृक् |
सर्व काही पहाणारा
|
२०० |
सिंहः |
सिंह (सिंहाप्रमाणे पराक्रमी)
|
२०१ |
सन्धाता |
व्यक्ती आणि कर्मफळ यांची सांगड घालून देणारा
|
२०२ |
सन्धिमान् |
परिस्थितीची जाणीव असणारा
|
२०३ |
स्थिरः |
स्थिर, (काया, वाचा, मने)
|
२०४ |
अजः |
सज्जनांना स्वतः होऊन जवळ करणारा, ब्रह्मा
|
२०५ |
दुर्मषणः |
जो कधी पराभूत होऊ शकत नाही. ज्याचे तेज, शक्ती बल इत्यादी सामान्य माणसाला आणि दुर्जनांना सहन होऊ शकत नाही
|
२०६ |
शास्ता |
ज्याचे अनंत ब्रह्मांडावर शासन चालते
|
२०७ |
विश्रुतात्मा |
ज्याचे वर्णन पुन्हा पुन्हा श्रवण करावेसे वाटणारा.
|
२०८ |
सुरारिहा |
देवतांच्या शत्रूंचा नाश करणारा
|
२०९ |
गुरूः |
परमश्रेष्ठ
|
२१० |
गुरूतमः |
गुरूंचा गुरू
|
२११ |
धाम |
सर्व इच्छांचे आणि हेतूंचा आश्रयस्थान
|
२१२ |
सत्यः |
शाश्वत सत्य.
|
२१३ |
सत्यपराक्रमः |
ज्याचा पराक्रम कधीही व्यर्थ जात नाही.
|
२१४ |
निमिषः |
ज्याचे डोळे ध्यानात अर्धवट मिटलेले (अर्धोंन्मीलित) आहेत.
|
२१५ |
अनिमिषः |
नेहमी जागरूक असणारा
|
२१६ |
स्रग्वी |
वैजयंतीमाला धारण केलेला
|
२१७ |
वाचस्पतिः-उदारधीः |
बुद्धीचा स्वामी.
|
२१८ |
अग्रणीः |
भक्तांचे योग्य नेतृत्व करणारा
|
२१९ |
ग्रामणीः |
प्रमुख नेतृत्व
|
२२० |
श्रीमान् |
तेज-ऐश्वर्य इत्यादींनी युक्त
|
२२१ |
न्यायः |
न्यायस्वरूप
|
२२२ |
नेता |
भक्तांना दिशा दाखवणारा, नेतृत्व करणारा
|
२२३ |
समीरणः |
सर्वांना प्रेरणा देणारा. वायु रूपाने भक्तांत वावरणारा.
|
२२४ |
सहस्रमूर्धा |
हजारो डोकी असणारा
|
२२५ |
विश्वात्मा |
ब्रम्हांडाचा आत्मा
|
२२६ |
सहस्राक्षः |
हजारो डोळे असणारा
|
२२७ |
सहस्रपात् |
हजारो पावले असणारा
|
२२८ |
आवर्तनः |
चारी युगांचे क्रमशः आवर्तन करून घेणारा
|
२२९ |
निवृत्तात्मा |
बंधन-मुक्त
|
२३० |
संवृतः |
मायेचे आवरण असलेला
|
२३० |
संप्रमर्दनः |
सर्वांचे मर्दन करणारा
|
२३२ |
अहः संवर्तकः |
(सूर्यरूपाने) सर्वांना दिवसाची प्रेरणा, बळ देणारा
|
२३३ |
वह्निः |
अग्नी
|
२३४ |
अनिलः |
वारा
|
२३५ |
धरणीधरः |
पृथ्वीला धारण करणारा
|
२३६ |
सुप्रसादः |
उत्तम प्रसाद (कर्मफळ) देणारा
|
२३७ |
प्रसन्नात्मा |
नित्य प्रसन्न असणारा
|
२३८ |
विश्वधृक् |
विश्वाचे धारण करणारा
|
२३९ |
विश्वभुक् |
विश्वाचे पालन करणारा
|
२४० |
विभुः |
अनेक रूपे धारण केलेला
|
२४१ |
सत्कर्ता |
सत्कर्म करणारा. सज्जनांच्या कडून सत्कर्म करून घेणारा
|
२४२ |
सत्कृतः |
सदैव पूजनीय. सज्जन ज्याचे पूजन नियमित पूजन करतात
|
२४३ |
साधुः |
उत्तम, साधू वृत्तीचा
|
२४४ |
जह्नुः |
दुर्जनांना दूर सारून सज्जनांना उत्तम पदास नेणारा
|
२४५ |
नारायणः |
जल ज्याचे निवासस्थान आहे. प्रलयकाळी सर्वांना सामावून घेणारा
|
२४६ |
नरः |
उत्तम पुरुषाचा अवतार धारण करणारा
|
२४७ |
असंख्येयः |
ज्याला जाणून घेण्यासाठी संख्याबळसुद्धा अपुरे आहे
|
२४८ |
अप्रमेयात्मा |
ज्याला जाणून घेण्यासाठी सर्व प्रमेयसुद्धा अपुरे आहे
|
२४९ |
विशिष्टः |
विशेष स्थान, महती असणारा
|
२५० |
शिष्टकृत् |
शासन (नियम) निर्माता.
|
२५१ |
शुचिः |
शुद्धरूप
|
२५२ |
सिद्धार्थः |
जो सर्वार्थाने पूर्णसिद्ध आहे
|
२५३ |
सिद्धसंकल्पः |
योग्य (उच्च-श्रेष्ठ) संकल्प असणारा
|
२५४ |
सिद्धिदः |
सर्वकाही उत्तर असे देणारा
|
२५५ |
सिद्धिसाधनः |
सर्व सिद्धीचे साधन असलेला
|
२५६ |
वृषाही |
सर्वकृतींंचे नियमन करणारा
|
२५७ |
वृषभः |
आपल्या भक्तांवर उत्तम गोष्टींचा वर्षाव करणारा
|
२५८ |
विष्णूः |
सर्वव्यापी
|
२५९ |
वृषपर्वा |
आपल्या भक्तांना उच्च पदावर नेण्यासाठी शिडीसारखे साहाय्य करणारा.
|
२६० |
वृषोदरः |
गर्भस्थानी धर्म धारण करणारा
|
२६१ |
वर्धनः |
वाढणारा, वाढविणारा
|
२६२ |
वर्धमानः |
कोणत्याही दिशेने वर्धिष्णु होणारा
|
२६३ |
विविक्तः |
विभक्त
|
२६४ |
श्रुतिसागरः |
ज्ञानाचा सागर
|
२६५ |
सुभुजः |
सुंदर भुजा असणारा
|
२६६ |
दुर्धरः |
ज्याला प्राप्त करणे/जाणून घेणे केवळ अशक्य आहे असा तो
|
२६७ |
वाग्मी |
योग्य आणि उत्तम बोलणारा
|
२६८ |
महेन्द्रः |
जो इंद्राचाही देव आहे
|
२६९ |
वसुदः |
सर्व प्रकारचे धन देणारा
|
२७० |
वसुः |
उत्तम संपत्ती (ऐश्वर्य युक्त)
|
२७१ |
नैकरूपः |
ज्याची अनंत रूपे आहेत असा तो
|
२७२ |
बृहद्रूपः |
प्रचंड आणि विशालकाय रूप असलेला
|
२७३ |
शिपिविष्टः |
शिपी म्हणजे किरण; थोडक्यात तेजस्वी किरणांनी युक्त असा तो
|
२७४ |
प्रकाशनः |
तेजस्वी प्रकाशमान. सर्वांना प्रकाश देणारा
|
२७५ |
ओजस्तेजोद्युतिधरः |
ओज, तेज आणि द्युती यांना धारण करणारा
|
२७६ |
प्रकाशात्मा |
स्वयम तेजस्वी
|
२७७ |
प्रतापनः |
तापदायक (सूर्यासारखा तप्त)
|
२७८ |
ऋद्धः |
समृद्ध असलेला
|
२७९ |
स्पष्टाक्षरः |
ओंकार रूपाने युक्त असलेला
|
२८० |
मन्त्रः |
जो स्वतः एक मंत्र आहे. (किंवा मंत्र आणि विष्णू हे अभिन्न आहेत.)
|
२८१ |
चन्द्रांशुः |
चांद्रकिरणांसारखा शीतल, आल्हाददायक आणि औषधीयुक्त
|
२८२ |
भास्करद्युतिः |
सूर्याप्रमाणे अत्यंत तेजस्वी
|
२८३ |
अमृतांशोद्भवः |
अमृतरुपी प्रकाश असलेला चंद्र ज्याच्या पासून निर्माण झाला असा तो
|
२८४ |
भानुः |
सूर्याप्रमाणे तेजस्वी प्रकाश देणारा
|
२८५ |
शशबिन्दुः |
चंद्रावर असलेला डाग म्हणजे ससा असे मानून, असा तो चंद्रासारखा
|
२८६ |
सुरेश्वरः |
देवांचाही देव
|
२८७ |
औषधम् |
जो औषधी सम आहे, किंवा औषधांनी युक्त आहे असा तो.
|
२८८ |
जगतः सेतुः |
संसाररूपी सागर ओलांडण्यासाठी लागणारा सेतू. किंवा संपूर्ण जग ज्याने एकत्र बांधून ठेवले आहे असा तो
|
२८९ |
सत्यधर्मपराक्रमः |
सत्य, धर्म आणि पराक्रम ज्याच्यात सामावले आहेत असा तो
|
२९० |
भूतभव्यभवन्नाथः |
भूतकाळ, वर्तमानकाळ आणि भविष्यकाळाचा स्वामी
|
२९१ |
पवनः |
वायुरूपाने जगात सर्वत्र वावरणारा असा तो
|
२९२ |
पावनः |
गती देणारा. शुद्ध करणारा
|
२९३ |
अनलः |
अग्निरूप असलेला
|
२९४ |
कामहा |
सर्व काम (इच्छांंचे) दमण करणारा
|
२९५ |
कामकृत् |
सर्व इच्छांची पूर्तता करणारा
|
२९६ |
कान्तः |
तेजस्वी कांती असलेला
|
२९७ |
कामः |
सज्जनांनी ज्याची कामना करावी असा तो
|
२९८ |
कामप्रदः |
इच्छित गोष्टींची पूर्तता करणारा
|
२९९ |
प्रभुः |
परमेश्वर
|
३०० |
युगादिकृत् |
युगकर्ता
|
३०१ |
युगावर्तः |
The law behind time
|
३०२ |
नैकमायः |
ज्याची रूपे अनंत आहेत असा
|
३०३ |
महाशनः |
जो सर्व गिळंकृत करतो असा
|
३०४ |
अदृश्यः |
अदृश्य( डोळ्यांना सहज न दिसणारा)
|
३०५ |
व्यक्तरूपः |
योग्यांना दिसू शकेल असा
|
३०६ |
सहस्रजित् |
ज्याने हजारोंना जिंकले आहे असा
|
३०७ |
अनन्तजित् |
सदैव जिंकणारा
|
३०८ |
इष्टः |
वैदिक यज्ञापासून उत्पन्न झालेला
|
३०९ |
विशिष्टः |
एकमेवाद्वितीय
|
३१० |
शिष्टेष्टः |
अतिशय आपलासा वाटणारा
|
३११ |
शिखंडी |
श्रीकृष्णाच्या रूपात त्याच्या शिरपेचात असलेल्या मोरपिसांनी अवतरलेला
|
३१२ |
नहुषः |
सर्व प्राणिमात्रांना आपल्या मायेने बांधणारा
|
३१३ |
वृषः |
धर्मरूप असणारा
|
३१४ |
क्रोधहा |
ज्याने राग नाहीसा केला आहे असा
|
३१५ |
क्रोधकृत्कर्ता |
क्रोधी माणसाचा नाश करणारा. क्रोधाचा नाश करणारा किंवा योग्यवेळी क्रोध करणारा
|
३१६ |
विश्वबाहुः |
आपल्या हातांनी विश्व व्यापणारा
|
३१७ |
महीधरः |
पृथ्वीला धारण केलेला
|
३१८ |
अच्युतः |
कधीही न ढळणारा
|
३१९ |
प्रथितः |
जो सर्वांना माहीत आहे. जो सर्वत्र प्रसिद्ध आहे
|
३२० |
प्राणः |
सर्व प्राणिमात्रांचा प्राण असलेला
|
३२१ |
प्राणदः |
प्राण ( जीवन) देणारा
|
३२२ |
वासवानुजः |
इंद्रबंधु
|
३२३ |
अपां-निधिः |
जलाची समृद्धी असलेला
|
३२४ |
अधिष्ठानम् |
सर्वांच्या मुळाशी ज्याचे स्थान आहे
|
३२५ |
अप्रमत्तः |
कधीही आणि कुणावरही अन्याय न करणारा
|
३२६ |
प्रतिष्ठितः |
स्वस्थानी पूर्णपणे स्थिर असलेला
|
३२७ |
स्कन्दः |
कार्तिकस्वामी. अमृतरूपाने वाहणारा
|
३२८ |
स्कन्दधरः |
धर्ममार्गाचे धारण करणारा
|
३२९ |
धूर्यः |
संपूर्ण सजीवसृष्टीची धुरा वाहणारा
|
३३० |
वरदः |
उत्तम वरदान देणारा
|
३३१ |
वायुवाहनः |
सात विशिष्ट क्षेत्रात सात प्रकारचे वायू वाहतात; त्या वायूंचे वहन करणारा
|
३३२ |
वासुदेवः |
वसुदेवपुत्र. स्वशक्तीने सर्व जीवांचे वसन करणारा
|
३३३ |
बृहद्भानुः |
अफाट तेज असलेला. भानू म्हणजे सूर्य,जो सूर्यमालेत सर्वात बलवान आहे; त्या सूर्यापेक्षाही बलवान असलेला
|
३३४ |
आदिदेवः |
मूळ परमेश्वर. सृष्टीच्या पूर्वीपासूनचा मुख्य परमेश्वर
|
३३५ |
पुरन्दरः |
शत्रूंची महानगरे नष्ट करणारा. मनबुद्धितील दोष त्याप्रमाणे नष्ट करणारा
|
३३६ |
अशोकः |
ज्याला कोणत्याही प्रकारचा शोक-दुःख नाही असा तो
|
३३७ |
तारणः |
संसार सागरातून तारून नेणारा
|
३३८ |
तारः |
सर्वप्राणिमात्रांचा तारक
|
३३९ |
शूरः |
महापराक्रमी. शूर नावाचा जो पराक्रमी श्रीकृष्णाचा पूर्वज राजा होता, त्याचेच रूप
|
३४० |
शौरिः |
महापराक्रमी शूर नावाचा राजाचा वंशज
|
३४१ |
जनेश्वरः |
समस्त जीवांचा ईश्वर
|
३४२ |
अनुकूलः |
सर्वांसाठी योग्य असलेला
|
३४३ |
शतावर्तः |
शेकडो (अनंत) अवतार धारण करणारा
|
३४४ |
पद्मी |
कमळ धारण करणारा
|
३४५ |
पद्मनिभेक्षणः |
कमळासारखे डोळे असलेला
|
३४६ |
पद्मनाभः |
ज्याच्या नाभीतून कमळ उमलले असा तो
|
३४७ |
अरविन्दाक्षः |
कमळाप्रमाणे डोळे असलेला
|
३४८ |
पद्मगर्भः |
कमळरुपी हृदयात ध्यान करण्यायोग्य
|
३४९ |
शरीरभृत् |
विविध शरीर धारण करणारा/ज्याचा सर्वांच्या शरीरात निवास आहे असा तो
|
३५० |
महर्द्धिः |
महाविभूती असलेला
|
३५१ |
ऋद्धः |
ज्याने स्वतःला ब्रह्मांडा प्रमाणे विस्तारित केले असा तो
|
३५२ |
वृद्धात्मा |
अति प्राचीन
|
३५३ |
महाक्षः |
विशाल नेत्र असलेला
|
३५४ |
गरुडध्वजः |
गरुड चिन्हांकित ध्वज असलेला
|
३५५ |
अतुलः |
अतुल म्हणजे ज्याची तुलना होऊ शकत नाही असा
|
३५६ |
शरभः |
सर्वांच्या शरीरात विराजमान असलेला असा तो
|
३५७ |
भीमः |
महा बलढ्या
|
३५८ |
समयज्ञः |
सर्वांना समभावाने जाणणारा/उत्पत्ती स्थिती आणि लय यांना जाणणारा
|
३५९ |
हविर्हरिः |
यज्ञातील हविर्द्रव्य ग्रहण करणारा
|
३६० |
सर्वलक्षणलक्षण्यः |
सर्व प्रकारचे उत्तम लक्षण धारण केलेला
|
३६१ |
लक्ष्मीवान् |
लक्ष्मीयुक्त असा तो
|
३६२ |
समितिञ्जयः |
युद्धात नेहमी विजय प्राप्त करणारा
|
३६३ |
विक्षरः |
ज्याचा नाश होऊ शकत नाही असा तो
|
३६४ |
रोहितः |
ज्याने मत्स्य अवतार धारण केला होता असा तो
|
३६५ |
मार्गः |
सत्याचा मार्ग असलेला
|
३६६ |
हेतुः |
जीवनाचा अंतिम हेतू
|
३६७ |
दामोदरः |
ज्याच्या पोटाला एक विशिष्ट दोर आहे असा तो
|
३६८ |
सहः |
सर्वकाही सहन करणारा
|
३६९ |
महीधरः |
पृथ्वी धारण करणारा
|
३७० |
महाभागः |
यज्ञातील सर्वात मोठा भाग घेणारा
|
३७१ |
वेगवान् |
अतिशय वेग असलेला
|
३७२ |
अमिताशनः |
सर्व काही पचवणारा
|
३७३ |
उद्भवः |
जगाच्या उत्पत्तीचे मूळ
|
३७४ |
क्षोभणः |
क्षोभ/आंदोलन करणारा
|
३७५ |
देवः |
परमेश्वर
|
३७६ |
श्रीगर्भः |
ज्याच्या गर्भात श्री म्हणजे वैभव आहे असा तो
|
३७७ |
परमेश्वरः |
देवांचा ही देव
|
३७८ |
करणम् |
संसाराच्या उत्पत्तीचे साधन
|
३७९ |
कारणम् |
संसाराच्या उत्पत्तीचे कारण
|
३८० |
कर्ता |
सर्व काही निर्माण करणारा
|
३८१ |
विकर्ता |
निरनिराळी ब्रह्मांडे निर्माण करणारा
|
३८२ |
गहनः |
समजण्यास अतिशय गहन (क्लिष्ट) असणारा
|
३८३ |
गुहः |
योगमायेचा पडदा टाकणारा/ह्रदयस्थ, ह्रदयात राहणारा
|
३८४ |
व्यवसायः |
ज्ञानमात्र स्वरूप
|
३८५ |
व्यवस्थानः |
संपूर्ण विश्वाची व्यवस्था राखणारा
|
३८६ |
संस्थानः |
प्रलयकाळी सर्वांना सामावून घेणारा
|
३८७ |
स्थानदः |
प्रत्येकाला योग्य असे स्थान देणारा
|
३८८ |
ध्रुवः |
अढळपद असलेला
|
३८९ |
परर्धिः |
श्रेष्ठ असे प्रकटस्वरूप असलेला
|
३९० |
परमस्पष्टः |
श्रेष्ठ वैभव आणि द्न्यान असलेला
|
३९१ |
तुष्टः |
भक्तांच्या कोणत्याही सेवेने सहज प्रसन्न होणारा
|
३९२ |
पुष्टः |
जो एकदम परिपूर्ण/तृप्त आहे असा तो
|
३९३ |
शुभेक्षणः |
शुभस्वरूप असलेला/केवळ दर्शनाने पुनीत करणारा
|
३९४ |
रामः |
ज्याच्यास्वरूपात सर्वजण रममाण होतात असा तो
|
३९५ |
विरामः |
ज्याच्या स्वरूपात सर्वजण विरून जाऊ इच्छितात असा तो
|
३९६ |
विरजः |
विषयसेवनाची आवड नसलेला/सर्व मोह विरहित
|
३९७ |
मार्गः |
योग्य ती दिशा आहे असा तो
|
३९८ |
नेयः |
योग्य मार्गदर्शन करणारा
|
३९९ |
नयः |
सर्वांचे नेतृत्व करणारा
|
४०० |
अनयः |
ज्याच्या पुढे कोणीही नाही असा तो
|
४०१ |
वीरः |
The valiant
|
४०२ |
शक्तिमतां श्रेष्ठः |
The best among the powerful
|
४०३ |
धर्मः |
The law of being
|
४०४ |
धर्मविदुत्तमः |
The highest among men of realisation
|
४०५ |
वैकुण्ठः |
Lord of supreme abode, Vaikuntha
|
४०६ |
पुरुषः |
One who dwells in all bodies
|
४०७ |
प्राणः |
Life
|
४०८ |
प्राणदः |
Giver of life
|
४०९ |
प्रणवः |
He who is praised by the gods
|
४१० |
पृथुः |
The expanded
|
४११ |
हिरण्यगर्भः |
The creator
|
४१२ |
शत्रुघ्नः |
The destroyer of enemies
|
४१३ |
व्याप्तः |
The pervader
|
४१४ |
वायुः |
The air
|
४१५ |
अधोक्षजः |
One whose vitality never flows downwards
|
४१६ |
ऋतुः |
The seasons
|
४१७ |
सुदर्शनः |
He whose meeting is auspicious
|
४१८ |
कालः |
He who judges and punishes beings
|
४१९ |
परमेष्ठी |
One who is readily available for experience within the heart
|
४२० |
परिग्रहः |
The receiver
|
४२१ |
उग्रः |
The terrible
|
४२२ |
संवत्सरः |
The year
|
४२३ |
दक्षः |
The smart
|
४२४ |
विश्रामः |
The resting place
|
४२५ |
विश्वदक्षिणः |
The most skilful and efficient
|
४२६ |
विस्तारः |
The extension
|
४२७ |
स्थावरस्स्थाणुः |
The firm and motionless
|
४२८ |
प्रमाणम् |
The proof
|
४२९ |
बीजमव्ययम् |
The Immutable Seed
|
४३० |
अर्थः |
He who is worshiped by all
|
४३१ |
अनर्थः |
One to whom there is nothing yet to be fulfilled
|
४३२ |
महाकोशः |
He who has got around him great sheaths
|
४३३ |
महाभोगः |
He who is of the nature of enjoyment
|
४३४ |
महाधनः |
He who is supremely rich
|
४३५ |
अनिर्विण्णः |
He who has no discontent
|
४३६ |
स्थविष्ठः |
One who is supremely huge
|
४३७ |
अभूः |
One who has no birth
|
४३८ |
धर्मयूपः |
The post to which all dharma is tied
|
४३९ |
महामखः |
The great sacrificer
|
४४० |
नक्षत्रनेमिः |
The nave of the stars
|
४४१ |
नक्षत्री |
The Lord of the stars (the moon)
|
४४२ |
क्षमः |
He who is supremely efficient in all undertakings
|
४४३ |
क्षामः |
He who ever remains without any scarcity
|
४४४ |
समीहनः |
One whose desires are auspicious
|
४४५ |
यज्ञः |
One who is of the nature of yajna
|
४४६ |
इज्यः |
He who is fit to be invoked through yajna
|
४४७ |
महेज्यः |
One who is to be most worshiped
|
४४८ |
क्रतुः |
The animal-sacrifice
|
४४९ |
सत्रम् |
Protector of the good
|
४५० |
सतांगतीः |
Refuge of the good
|
४५१ |
सर्वदर्शी |
All-knower
|
४५२ |
विमुक्तात्मा |
The ever-liberated self
|
४५३ |
सर्वज्ञः |
Omniscient
|
४५४ |
ज्ञानमुत्तमम् |
The Supreme Knowledge
|
४५५ |
सुव्रतः |
He who ever-performing the pure vow
|
४५६ |
सुमुखः |
One who has a charming face
|
४५७ |
सूक्ष्मः |
The subtlest
|
४५८ |
सुघोषः |
Of auspicious sound
|
४५९ |
सुखदः |
Giver of happiness
|
४६० |
सुहृत् |
Friend of all creatures
|
४६१ |
मनोहरः |
The stealer of the mind
|
४६२ |
जितक्रोधः |
One who has conquered anger
|
४६३ |
वीरबाहुः |
Having mighty arms
|
४६४ |
विदारणः |
One who splits asunder
|
४६५ |
स्वापनः |
One who puts people to sleep
|
४६६ |
स्ववशः |
He who has everything under His control
|
४६७ |
व्यापी |
All-pervading
|
४६८ |
नैकात्मा |
Many souled
|
४६९ |
नैककर्मकृत् |
One who does many actions
|
४७० |
वत्सरः |
The abode
|
४७१ |
वत्सलः |
The supremely affectionate
|
४७२ |
वत्सी |
The father
|
४७३ |
रत्नगर्भः |
The jewel-wombed
|
४७४ |
धनेश्वरः |
The Lord of wealth
|
४७५ |
धर्मगुब् |
One who protects dharma
|
४७६ |
धर्मकृत् |
One who acts according to dharma
|
४७७ |
धर्मी |
The supporter of dharma
|
४७८ |
सत् |
existence
|
४७८ |
असत् |
illusion
|
४८० |
क्षरम् |
He who appears to perish
|
४८१ |
अक्षरम् |
Imperishable
|
४८२ |
अविज्ञाता |
The non-knower (The knower being the conditioned soul within the body)
|
४८३ |
सहस्रांशुः |
The thousand-rayed
|
४८४ |
विधाता |
All supporter
|
४८५ |
कृतलक्षणः |
One who is famous for His qualities
|
४८६ |
गभस्तिनेमिः |
The hub of the universal wheel
|
४८७ |
सत्त्वस्थः |
Situated in sattva
|
४८८ |
सिंहः |
The lion
|
४८९ |
भूतमहेश्वरः |
The great lord of beings
|
४९० |
आदिदेवः |
The first deity
|
४९१ |
महादेवः |
The great deity
|
४९२ |
देवेशः |
The Lord of all devas
|
४९३ |
देवभृद्गुरूः |
Advisor of Indra
|
४९४ |
उत्तरः |
He who lifts us from the ocean of samsara
|
४९५ |
गोपतिः |
The shepherd
|
४९६ |
गोप्ता |
The protector
|
४९७ |
ज्ञानगम्यः |
One who is experienced through pure knowledge
|
४९८ |
पुरातनः |
He who was even before time
|
४९९ |
शरीरभूतभृत् |
One who nourishes the nature from which the bodies came
|
५०० |
भोक्ता |
The enjoyer
|
५०१ |
कपीन्द्रः |
Lord of the monkeys (Rama)
|
५०२ |
भूरिदक्षिणः |
He who gives away large gifts
|
५०३ |
सोमपः |
One who takes Soma in the yajnas
|
५०४ |
अमृतपः |
One who drinks the nectar
|
५०५ |
सोमः |
One who as the moon nourishes plants
|
५०६ |
पुरुजित् |
One who has conquered numerous enemies
|
५०७ |
पुरुसत्तमः |
The greatest of the great
|
५०८ |
विनयः |
He who humiliates those who are unrighteous
|
५०९ |
जयः |
The victorious
|
५१० |
सत्यसन्धः |
Of truthful resolution
|
५११ |
दाशार्हः |
One who was born in the Dasarha race
|
५१२ |
सात्त्वतां पतिः |
The Lord of the Satvatas
|
५१३ |
जीवः |
One who functions as the ksetrajna
|
५१४ |
विनयितासाक्षी |
The witness of modesty
|
५१५ |
मुकुन्दः |
The giver of liberation
|
५१६ |
अमितविक्रमः |
Of immeasurable prowess
|
५१७ |
अम्भोनिधिः |
The substratum of the four types of beings
|
५१८ |
अनन्तात्मा |
The infinite self
|
५१९ |
महोदधिशयः |
One who rests on the great ocean
|
५२० |
अन्तकः |
The death
|
५२१ |
अजः |
Unborn
|
५२२ |
महार्हः |
One who deserves the highest worship
|
५२३ |
स्वाभाव्यः |
Ever rooted in the nature of His own self
|
५२४ |
जितामित्रः |
One who has conquered all enemies
|
५२५ |
प्रमोदनः |
Ever-blissful
|
५२६ |
आनन्दः |
A mass of pure bliss
|
५२७ |
नन्दनः |
One who makes others blissful
|
५२८ |
नन्दः |
Free from all worldly pleasures
|
५२९ |
सत्यधर्मा |
One who has in Himself all true dharmas
|
५३० |
त्रिविक्रमः |
One who took three steps
|
५३१ |
महर्षिः कपिलाचार्यः |
He who incarnated as Kapila, the great sage
|
५३२ |
कृतज्ञः |
The knower of the creation
|
५३३ |
मेदिनीपतिः |
The Lord of the earth
|
५३४ |
त्रिपदः |
One who has taken three steps
|
५३५ |
त्रिदशाध्यक्षः |
The Lord of the three states of consciousness
|
५३६ |
महाशृंगः |
Great-horned (Matsya)
|
५३७ |
कृतान्तकृत् |
Destroyer of the creation
|
५३८ |
महावराहः |
The great boar
|
५३९ |
गोविन्दः |
One who is known through Vedanta
|
५४० |
सुषेणः |
He who has a charming army
|
५४१ |
कनकांगदी |
Wearer of bright-as-gold armlets
|
५४२ |
गुह्यः |
The mysterious
|
५४३ |
गभीरः |
The unfathomable
|
५४४ |
गहनः |
Impenetrable
|
५४५ |
गुप्तः |
The well-concealed
|
५४६ |
चक्रगदाधरः |
Bearer of the disc and mace
|
५४७ |
वेधाः |
Creator of the universe
|
५४८ |
स्वांगः |
One with well-proportioned limbs
|
५४९ |
अजितः |
Vanquished by none
|
५५० |
कृष्णः |
Dark-complexioned
|
५५१ |
दृढः |
The firm
|
५५२ |
संकर्षणोऽच्युतः |
He who absorbs the whole creation into His nature and never falls away from that nature
|
५५३ |
वरुणः |
One who sets on the horizon (Sun)
|
५५४ |
वारुणः |
The son of Varuna (Vasistha or Agastya)
|
५५५ |
वृक्षः |
The tree
|
५५६ |
पुष्कराक्षः |
Lotus eyed
|
५५७ |
महामनः |
Great-minded
|
५५८ |
भगवान् |
One who possesses six opulences
|
५५९ |
भगहा |
One who destroys the six opulences during pralaya
|
५६० |
आनन्दी |
One who gives delight
|
५६१ |
वनमाली |
One who wears a garland of forest flowers
|
५६२ |
हलायुधः |
One who has a plough as His weapon
|
५६३ |
आदित्यः |
Son of Aditi
|
५६४ |
ज्योतिरादित्यः |
The resplendence of the sun
|
५६५ |
सहिष्णुः |
One who calmly endures duality
|
५६६ |
गतिसत्तमः |
The ultimate refuge for all devotees
|
५६७ |
सुधन्वा |
One who has Shaarnga
|
५६८ |
खण्डपरशु: |
One who holds an axe
|
५६९ |
दारुणः |
Merciless towards the unrighteous
|
५७० |
द्रविणप्रदः |
One who lavishly gives wealth
|
५७१ |
दिवःस्पृक् |
Sky-reaching
|
५७२ |
सर्वदृग्व्यासः |
One who creates many men of wisdom
|
५७३ |
वाचस्पतिरयोनिजः |
One who is the master of all vidyas and who is unborn through a womb
|
५७४ |
त्रिसामा |
One who is glorified by Devas, Vratas and Saamans
|
५७५ |
सामगः |
The singer of the sama songs
|
५७६ |
साम |
The Sama Veda
|
५७७ |
निर्वाणम् |
All-bliss
|
५७८ |
भेषजम् |
Medicine
|
५७९ |
भृषक् |
Physician
|
५८० |
संन्यासकृत् |
Institutor of sannyasa
|
५८१ |
समः |
Calm
|
५८२ |
शान्तः |
Peaceful within
|
५८३ |
निष्ठा |
Abode of all beings
|
५८४ |
शान्तिः |
One whose very nature is peace
|
५८५ |
परायणम् |
The way to liberation
|
५८६ |
शुभांगः |
One who has the most beautiful form
|
५८७ |
शान्तिदः |
Giver of peace
|
५८८ |
स्रष्टा |
Creator of all beings
|
५८९ |
कुमुदः |
He who delights in the earth
|
५९० |
कुवलेशयः |
He who reclines in the waters
|
५९१ |
गोहितः |
One who does welfare for cows
|
५९२ |
गोपतिः |
Husband of the earth
|
५९३ |
गोप्ता |
Protector of the universe
|
५९४ |
वृषभाक्षः |
One whose eyes rain fulfilment of desires
|
५९५ |
वृषप्रियः |
One who delights in dharma
|
६९६ |
अनिवर्ती |
One who never retreats
|
५९७ |
निवृतात्मा |
One who is fully restrained from all sense indulgences
|
५९८ |
संक्षेप्ता |
The involver
|
५९९ |
क्षेमकृत् |
Doer of good
|
६०० |
शिवः |
Auspiciousness
|
६०१ |
श्रीवत्सवत्साः |
One who has sreevatsa on His chest
|
६०२ |
श्रीवासः |
Abode of Sree
|
६०३ |
श्रीपतिः |
Lord of Laksmi
|
६०४ |
श्रीमतां वरः |
The best among glorious
|
६०५ |
श्रीदः |
Giver of opulence
|
६०६ |
श्रीशः |
The Lord of Sree
|
६०७ |
श्रीनिवासः |
One who dwells in the good people
|
६०८ |
श्रीनिधिः |
The treasure of Sree
|
६०९ |
श्रीविभावनः |
Distributor of Sree
|
६१० |
श्रीधरः |
Holder of Sree
|
६११ |
श्रीकरः |
One who gives Sree
|
६१२ |
श्रेयः |
Liberation
|
६१३ |
श्रीमान् |
Possessor of Sree
|
६१४ |
लोकत्रयाश्रयः |
Shelter of the three worlds
|
६१५ |
स्वक्षः |
Beautiful-eyed
|
६१६ |
स्वङ्गः |
Beautiful-limbed
|
६१७ |
शतानन्दः |
Of infinite varieties and joys
|
६१८ |
नन्दिः |
Infinite bliss
|
६१९ |
ज्योतिर्गणेश्वरः |
Lord of the luminaries in the cosmos
|
६२० |
विजितात्मा |
One who has conquered the sense organs
|
६२१ |
विधेयात्मा |
One who is ever available for the devotees to command in love
|
६२२ |
सत्कीर्तिः |
One of pure fame
|
६२३ |
छिन्नसंशयः |
One whose doubts are ever at rest
|
६२४ |
उदीर्णः |
The great transcendent
|
६२५ |
सर्वतश्चक्षुः |
One who has eyes everywhere
|
६२६ |
अनीशः |
One who has none to Lord over Him
|
६२७ |
शाश्वतः-स्थिरः |
One who is eternal and stable
|
६२८ |
भूशयः |
One who rested on the ocean shore (Rama)
|
६२९ |
भूषणः |
One who adorns the world
|
६३० |
भूतिः |
One who is pure existence
|
६३१ |
विशोकः |
Sorrowless
|
६३२ |
शोकनाशनः |
Destroyer of sorrows
|
६३३ |
अर्चिष्मान् |
The effulgent
|
६३४ |
अर्चितः |
One who is constantly worshipped by His devotees
|
६३५ |
कुम्भः |
The pot within whom everything is contained
|
६३६ |
विशुद्धात्मा |
One who has the purest soul
|
६३७ |
विशोधनः |
The great purifier
|
६३८ |
अनिरुद्धः |
He who is invincible by any enemy
|
६३९ |
अप्रतिरथः |
One who has no enemies to threaten Him
|
६४० |
प्रद्युम्नः |
Very rich
|
६४१ |
अमितविक्रमः |
Of immeasurable prowess
|
६४२ |
कालनेमीनिहा |
Slayer of Kalanemi
|
६४३ |
वीरः |
The heroic victor
|
६४४ |
शौरी |
One who always has invincible prowess
|
६४५ |
शूरजनेश्वरः |
Lord of the valiant
|
६४६ |
त्रिलोकात्मा |
The self of the three worlds
|
६४७ |
त्रिलोकेशः |
The Lord of the three worlds
|
६४८ |
केशवः |
One whose rays illumine the cosmos
|
६४९ |
केशिहा |
Killer of Kesi
|
६५० |
हरिः |
The creator
|
६५१ |
कामदेवः |
The beloved Lord
|
६५२ |
कामपालः |
The fulfiller of desires
|
६५३ |
कामी |
One who has fulfilled all His desires
|
६५४ |
कान्तः |
Of enchanting form
|
६५५ |
कृतागमः |
The author of the agama scriptures
|
६५६ |
अनिर्देश्यवपुः |
Of Indescribable form
|
६५७ |
विष्णूः |
All-pervading
|
६५८ |
वीरः |
The courageous
|
६५९ |
अनन्तः |
Endless
|
६६० |
धनञ्जयः |
One who gained wealth through conquest
|
६६१ |
ब्रह्मण्यः |
Protector of Brahman (anything related to Narayana)
|
६६२ |
ब्रह्मकृत् |
One who acts in Brahman
|
६६३ |
ब्रह्मा |
Creator
|
६६४ |
ब्रहम |
Biggest
|
६६५ |
ब्रह्मविवर्धनः |
One who increases the Brahman
|
६६६ |
ब्रह्मविद् |
One who knows Brahman
|
६६७ |
ब्राह्मणः |
One who has realised Brahman
|
६६८ |
ब्रह्मी |
One who is with Brahma
|
६६९ |
ब्रह्मज्ञः |
One who knows the nature of Brahman
|
६७० |
ब्राह्मणप्रियः |
Dear to the brahmanas
|
६७१ |
महाकर्मः |
Of great step
|
६७२ |
महाकर्मा |
One who performs great deeds
|
६७३ |
महातेजा |
One of great resplendence
|
६७४ |
महोरगः |
The great serpent
|
६७५ |
महाक्रतुः |
The great sacrifice
|
६७६ |
महायज्वा |
One who performed great yajnas
|
६७७ |
महायज्ञः |
The great yajna
|
६७८ |
महाहविः |
The great offering
|
६७९ |
स्तव्यः |
One who is the object of all praise
|
६८० |
स्तवप्रियः |
One who is invoked through prayer
|
६८१ |
स्तोत्रम् |
The hymn
|
६८२ |
स्तुतिः |
The act of praise
|
६८३ |
स्तोता |
One who adores or praises
|
६८४ |
रणप्रियः |
Lover of battles
|
६८५ |
पूर्णः |
The complete
|
६८६ |
पूरयिता |
The fulfiller
|
६८७ |
पुण्यः |
The truly holy
|
६८८ |
पुण्यकीर्तिः |
Of Holy fame
|
६८९ |
अनामयः |
One who has no diseases
|
६९० |
मनोजवः |
Swift as the mind
|
६९१ |
तीर्थकरः |
The teacher of the tirthas
|
६९२ |
वसुरेताः |
He whose essence is golden
|
६९३ |
वसुप्रदः |
The free-giver of wealth
|
६९४ |
वसुप्रदः |
The giver of salvation, the greatest wealth
|
६९५ |
वासुदेवः |
The son of Vasudeva
|
६९६ |
वसुः |
The refuge for all
|
६९७ |
वसुमना |
One who is attentive to everything
|
६९८ |
हविः |
The oblation
|
६९९ |
सद्गतिः |
The goal of good people
|
७०० |
सत्कृतिः |
One who is full of Good actions
|
७०१ |
सत्ता |
One without a second
|
७०२ |
सद्भूतिः |
One who has rich glories
|
७०३ |
सत्परायणः |
The Supreme goal for the good
|
७०४ |
शूरसेनः |
One who has heroic and valiant armies
|
७०५ |
यदुश्रेष्ठः |
The best among the Yadava clan
|
७०६ |
सन्निवासः |
The abode of the good
|
७०७ |
सुयामुनः |
One who attended by the people dwelling on the banks of Yamuna
|
७०८ |
भूतावासः |
The dwelling place of the elements
|
७०९ |
वासुदेवः |
One who envelops the world with Maya
|
७१० |
सर्वासुनिलयः |
The abode of all life energies
|
७११ |
अनलः |
One of unlimited wealth, power and glory
|
७१२ |
दर्पहा |
The destroyer of pride in evil-minded people
|
७१३ |
दर्पदः |
One who creates pride, or an urge to be the best, among the righteous
|
७१४ |
दृप्तः |
One who is drunk with Infinite bliss
|
७१५ |
दुर्धरः |
The object of contemplation
|
७१६ |
अथापराजितः |
The unvanquished
|
७१७ |
विश्वमूर्तिः |
Of the form of the entire Universe
|
७१८ |
महामूर्तिः |
The great form
|
७१९ |
दीप्तमूर्तिः |
Of resplendent form
|
७२० |
अमूर्तिमान् |
Having no form
|
७२१ |
अनेकमूर्तिः |
Multi-formed
|
७२२ |
अव्यक्तः |
Unmanifeset
|
७२३ |
शतमूर्तिः |
Of many forms
|
७२४ |
शताननः |
Many-faced
|
७२५ |
एकः |
The one
|
७२६ |
नैकः |
The many
|
७२७ |
सवः |
The nature of the sacrifice
|
७२८ |
कः |
One who is of the nature of bliss
|
७२९ |
किम् |
What (the one to be inquired into)
|
७३० |
यत् |
Which
|
७३१ |
तत् |
That
|
७३२ |
पदमनुत्तमम् |
The unequalled state of perfection
|
७३३ |
लोकबन्धुः |
Friend of the world
|
७३४ |
लोकनाथः |
Lord of the world
|
७३५ |
माधवः |
Born in the family of Madhu
|
७३६ |
भक्तवत्सलः |
One who loves His devotees
|
७३७ |
सुवर्णवर्णः |
Golden-coloured
|
७३८ |
हेमांगः |
One who has limbs of gold
|
७३९ |
वरांगः |
With beautiful limbs
|
७४० |
चन्दनांगदी |
One who has attractive armlets
|
७४१ |
वीरहा |
Destroyer of valiant heroes
|
७४२ |
विषमः |
Unequalled
|
७४३ |
शून्यः |
The void
|
७४४ |
घृताशी |
One who has no need for good wishes
|
७४५ |
अचलः |
Non-moving
|
७४६ |
चलः |
Moving
|
७४७ |
अमानी |
Without false vanity
|
७४८ |
मानदः |
One who causes, by His maya, false identification with the body
|
७४८ |
मान्यः |
One who is to be honoured
|
७५० |
लोकस्वामी |
Lord of the universe
|
७५१ |
त्रिलोकधृक् |
One who is the support of all the three worlds
|
७५२ |
सुमेधा |
One who has pure intelligence
|
७५३ |
मेधजः |
Born out of sacrifices
|
७५४ |
धन्यः |
Fortunate
|
७५५ |
सत्यमेधः |
One whose intelligence never fails
|
७५६ |
धराधरः |
The sole support of the earth
|
७५७ |
तेजोवृषः |
One who showers radiance
|
७५८ |
द्युतिधरः |
One who bears an effulgent form
|
७५९ |
सर्वशस्त्रभृतां वरः |
The best among those who wield weapons
|
७६० |
प्रग्रहः |
Receiver of worship
|
७६१ |
निग्रहः |
The killer
|
७६२ |
व्यग्रः |
One who is ever engaged in fulfilling the devotee's desires
|
७६३ |
नैकशृंगः |
One who has many horns
|
७६४ |
गदाग्रजः |
One who is invoked through mantra
|
७६५ |
चतुर्मूर्तिः |
Four-formed
|
७६६ |
चतुर्बाहुः |
Four-handed
|
७६७ |
चतुर्व्यूहः |
One who expresses Himself as the dynamic centre in the four vyoohas
|
७६८ |
चतुर्गतिः |
The ultimate goal of all four varnas and asramas
|
७६९ |
चतुरात्मा |
Clear-minded
|
७७० |
चतुर्भावः |
The source of the four
|
७७१ |
चतुर्वेदविद् |
Knower of all four vedas
|
७७२ |
एकपात् |
One-footed (BG 10.42)
|
७७३ |
समावर्तः |
The efficient turner
|
७७४ |
निवृत्तात्मा |
One whose mind is turned away from sense indulgence
|
७७५ |
दुर्जयः |
The invincible
|
७७६ |
दुरतिक्रमः |
One who is difficult to be disobeyed
|
७७७ |
दुर्लभः |
One who can be obtained with great efforts
|
७७८ |
दुर्गमः |
One who is realised with great effort
|
७७९ |
दुर्गः |
Not easy to storm into
|
७८० |
दुरावासः |
Not easy to lodge
|
७८१ |
दुरारिहा |
Slayer of the asuras
|
७८२ |
शुभांगः |
One with enchanting limbs
|
७८३ |
लोकसारंगः |
One who understands the universe
|
७८४ |
सुतन्तुः |
Beautifully expanded
|
७८५ |
तन्तुवर्धनः |
One who sustains the continuity of the drive for the family
|
७८६ |
इन्द्रकर्मा |
One who always performs gloriously auspicious actions
|
७८७ |
महाकर्मा |
One who accomplishes great acts
|
७८८ |
कृतकर्मा |
One who has fulfilled his acts
|
७८९ |
कृतागमः |
Author of the Vedas
|
७९० |
उद्भवः |
The ultimate source
|
७९१ |
सुन्दरः |
Of unrivalled beauty
|
७९२ |
सुन्दः |
Of great mercy
|
७९३ |
रत्ननाभः |
Of beautiful navel
|
७९४ |
सुलोचनः |
One who has the most enchanting eyes
|
७९५ |
अर्कः |
One who is in the form of the sun
|
७९६ |
वाजसनः |
The giver of food
|
७९७ |
शृंगी |
The horned one
|
७९८ |
जयन्तः |
The conqueror of all enemies
|
७९९ |
सर्वविज्जयी |
One who is at once omniscient and victorious
|
८०० |
सुवर्णबिन्दुः |
With limbs radiant like gold
|
८०१ |
अक्षोभ्यः |
One who is ever unruffled
|
८०२ |
सर्ववागीश्वरेश्वरः |
Lord of the Lord of speech
|
८०३ |
महाहृदः |
One who is like a great refreshing swimming pool
|
८०४ |
महागर्तः |
The great chasm
|
८०५ |
महाभूतः |
The great being
|
८०६ |
महानिधिः |
The great abode
|
८०७ |
कुमुदः |
One who gladdens the earth
|
८०८ |
कुन्दरः |
The one who lifted the earth
|
८०९ |
कुन्दः |
One who is as attractive as Kunda flowers
|
८१० |
पर्जन्यः |
He who is similar to rain-bearing clouds
|
८११ |
पावनः |
One who ever purifies
|
८१२ |
अनिलः |
One who never slips
|
८१३ |
अमृतांशः |
One whose desires are never fruitless
|
८१४ |
अमृतवपुः |
He whose form is immortal
|
८१५ |
सर्वज्ञः |
Omniscient
|
८१६ |
सर्वतोमुखः |
One who has His face turned everywhere
|
८१७ |
सुलभः |
One who is readily available
|
८१८ |
सुव्रतः |
One who has taken the most auspicious forms
|
८१९ |
सिद्धः |
One who is perfection
|
८२० |
शत्रुजित् |
One who is ever victorious over His hosts of enemies
|
८२१ |
शत्रुतापनः |
The scorcher of enemies
|
८२२ |
न्यग्रोधः |
The one who veils Himself with Maya
|
८२३ |
उदुम्बरः |
Nourishment of all living creatures
|
८२४ |
|
Tree of life
|
८२५ |
चाणूरान्ध्रनिषूदनः |
The slayer of Canura
|
८२६ |
सहस्रार्चिः |
He who has thousands of rays
|
८२७ |
सप्तजिह्वः |
He who expresses himself as the seven tongues of fire (Types of agni)
|
८२८ |
सप्तैधाः |
The seven effulgences in the flames
|
८२९ |
सप्तवाहनः |
One who has a vehicle of seven horses (sun)
|
८३० |
अमूर्तिः |
Formless
|
८३१ |
अनघः |
Sinless
|
८३२ |
अचिन्त्यः |
Inconceivable
|
८३३ |
भयकृत् |
Giver of fear
|
८३४ |
भयनाशनः |
Destroyer of fear
|
८३५ |
अणुः |
The subtlest
|
८३६ |
बृहत् |
The greatest
|
८३७ |
कृशः |
Delicate, lean
|
८३८ |
स्थूलः |
One who is the fattest
|
८३९ |
गुणभृत् |
One who supports
|
८४० |
निर्गुणः |
Without any properties
|
८४१ |
महान् |
The mighty
|
८४२ |
अधृतः |
Without support
|
८४३ |
स्वधृतः |
Self-supported
|
८४४ |
स्वास्यः |
One who has an effulgent face
|
८४५ |
प्राग्वंशः |
One who has the most ancient ancestry
|
८४६ |
वंशवर्धनः |
He who multiplies His family of descendants
|
८४७ |
भारभृत् |
One who carries the load of the universe
|
८४८ |
कथितः |
One who is glorified in all scriptures
|
८४९ |
योगी |
One who can be realised through yoga
|
८५० |
योगीशः |
The king of yogis
|
८५१ |
सर्वकामदः |
One who fulfils all desires of true devotees
|
८५२ |
आश्रमः |
Haven
|
८५३ |
श्रमणः |
One who persecutes the worldly people
|
८५४ |
क्षामः |
One who destroys everything
|
८५५ |
सुपर्णः |
The golden leaf (Vedas) BG 15.1
|
८५६ |
वायुवाहनः |
The mover of the winds
|
८५७ |
धनुर्धरः |
The wielder of the bow
|
८५७ |
धनुर्वेदः |
One who declared the science of archery
|
८५९ |
दण्डः |
One who punishes the wicked
|
८६० |
दमयिता |
The controller
|
८६१ |
दमः |
Beautitude in the self
|
८६२ |
अपराजितः |
One who cannot be defeated
|
८६३ |
सर्वसहः |
One who carries the entire Universe
|
८६४ |
अनियन्ता |
One who has no controller
|
८६५ |
नियमः |
One who is not under anyone's laws
|
८६६ |
अयमः |
One who knows no death
|
८६७ |
सत्त्ववान् |
One who is full of exploits and courage
|
८६८ |
सात्त्विकः |
One who is full of sattvic qualities
|
८६९ |
सत्यः |
Truth
|
८७० |
सत्यधर्मपराक्रमः |
One who is the very abode of truth and dharma
|
८७१ |
अभिप्रायः |
One who is faced by all seekers marching to the infinite
|
८७२ |
प्रियार्हः |
One who deserves all our love
|
८७३ |
अर्हः |
One who deserves to be worshiped
|
८७४ |
प्रियकृत् |
One who is ever-obliging in fulfilling our wishes
|
८७५ |
प्रीतिवर्धनः |
One who increases joy in the devotee's heart
|
८७६ |
विहायसगतिः |
One who travels in space
|
८७७ |
ज्योतिः |
Self-effulgent
|
८७८ |
सुरूचिः |
Whose desire manifests as the universe
|
८७९ |
हुतभुक् |
One who enjoys all that is offered in yajna
|
८८० |
विभुः |
All-pervading
|
८८१ |
रविः |
One who dries up everything
|
८८२ |
विरोचनः |
One who shines in different forms
|
८८३ |
सूर्यः |
The one source from where everything is born
|
८८४ |
सविता |
The one who brings forth the Universe from Himself
|
८८५ |
रविलोचनः |
One whose eye is the sun
|
८८६ |
अनन्तः |
Endless
|
८८७ |
हुतभुक् |
One who accepts oblations
|
८८८ |
भोक्ता |
One who enjoys
|
८८९ |
सुखदः |
Giver of bliss to those who are liberated
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८९० |
नैकजः |
One who is born many times
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८९१ |
अग्रजः |
The first amongst eternal [ Pradhana Purusha ]. Agra means first and ajah means never born. Both individual souls and Vishnu are eternal but Ishvara is Pradhana Taatva. Hence the word agra.
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८९२ |
अनिर्विण्णः |
One who feels no disappointment
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८९३ |
सदामर्षी |
One who forgives the trespasses of His devotees
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८९४ |
लोकाधिष्ठानम् |
The substratum of the universe
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८९५ |
अद्भुतः |
Wonderful
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८९६ |
सनात् |
The beginningless and endless factor
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८९७ |
सनातनतमः |
The most ancient
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८९८ |
कपिलः |
The great sage Kapila
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८९९ |
कपिः |
One who drinks water
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९०० |
अव्ययः |
The one in whom the universe merges
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९०१ |
स्वस्तिदः |
Giver of Svasti
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९०२ |
स्वस्तिकृत् |
One who robs all auspiciousness
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९०३ |
स्वस्ति |
One who is the source of all auspiciouness
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९०४ |
स्वस्तिभुक् |
One who constantly enjoys auspiciousness
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९०५ |
स्वस्तिदक्षिणः |
Distributor of auspiciousness
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९०६ |
अरौद्रः |
One who has no negative emotions or urges
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९०७ |
कुण्डली |
One who wears shark earrings
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९०८ |
चक्री |
Holder of the chakra
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९०९ |
विक्रमी |
The most daring
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९१० |
ऊर्जितशासनः |
One who commands with His hand
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९११ |
शब्दातिगः |
One who transcends all words
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९१२ |
शब्दसहः |
One who allows Himself to be invoked by Vedic declarations
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९१३ |
शिशिरः |
The cold season, winter
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९१४ |
शर्वरीकरः |
Creator of darkness
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९१५ |
अक्रूरः |
Never cruel
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९१६ |
पेशलः |
One who is supremely soft
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९१७ |
दक्षः |
Prompt
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९१८ |
दक्षिणः |
The most liberal
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९१९ |
क्षमिणांवरः |
One who has the greatest amount of patience with sinners
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९२० |
विद्वत्तमः |
One who has the greatest wisdom
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९२१ |
वीतभयः |
One with no fear
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९२२ |
पुण्यश्रवणकीर्तनः |
The hearing of whose glory causes holiness to grow
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९२३ |
उत्तारणः |
One who lifts us out of the ocean of change
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९२४ |
दुष्कृतिहा |
Destroyer of bad actions
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९२५ |
पुण्यः |
Supremely pure
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९२६ |
दुःस्वप्ननाशनः |
One who destroys all bad dreams
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९२७ |
वीरहा |
One who ends the passage from womb to womb
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९२८ |
रक्षणः |
Protector of the universe
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९२९ |
सन्तः |
One who is expressed through saintly men
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९३० |
जीवनः |
The life spark in all creatures
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९३१ |
पर्यवस्थितः |
One who dwells everywhere
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९३२ |
अनन्तरूपः |
One of infinite forms
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९३३ |
अनन्तश्रीः |
Full of infinite glories
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९३४ |
जितमन्युः |
One who has no anger
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९३५ |
भयापहः |
One who destroys all fears
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९३६ |
चतुरश्रः |
One who deals squarely
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९३७ |
गभीरात्मा |
Too deep to be fathomed
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९३८ |
विदिशः |
One who is unique in His giving
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९३९ |
व्यादिशः |
One who is unique in His commanding power
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९४० |
दिशः |
One who advises and gives knowledge
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९४१ |
अनादिः |
One who is the first cause
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९४२ |
भूर्भूवः |
The substratum of the earth
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९४३ |
लक्ष्मीः |
The glory of the universe
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९४४ |
सुवीरः |
One who moves through various ways
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९४५ |
रुचिरांगदः |
One who wears resplendent shoulder caps
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९४६ |
जननः |
He who delivers all living creatures
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९४७ |
जनजन्मादिः |
The cause of the birth of all creatures
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९४८ |
भीमः |
Terrible form
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९४९ |
भीमपराक्रमः |
One whose prowess is fearful to His enemies
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९५० |
आधारनिलयः |
The fundamental sustainer
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९५१ |
अधाता |
Above whom there is no other to command
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९५२ |
पुष्पहासः |
He who shines like an opening flower
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९५३ |
प्रजागरः |
Ever-awakened
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९५४ |
ऊर्ध्वगः |
One who is on top of everything
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९५५ |
सत्पथाचारः |
One who walks the path of truth
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९५६ |
प्राणदः |
Giver of life
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९५७ |
प्रणवः |
Omkara
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९५८ |
पणः |
The supreme universal manager
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९५९ |
प्रमाणम् |
He whose form is the Vedas
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९६० |
प्राणनिलयः |
He in whom all prana is established
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९६१ |
प्राणभृत् |
He who rules over all pranas
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९६२ |
प्राणजीवनः |
He who maintains the life-breath in all living creatures
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९६३ |
तत्त्वम् |
The reality
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९६४ |
तत्त्वविद् |
One who has realised the reality
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९६५ |
एकात्मा |
The one self
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९६६ |
जन्ममृत्युजरातिगः |
One who knows no birth, death or old age in Himself
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९६७ |
भूर्भुवःस्वस्तरुः |
The tree of the three worlds (bhoo=terrestrial, svah=celestial and bhuvah=the world in between)
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९६८ |
तारः |
One who helps all to cross over
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९६९ |
सविताः |
The father of all
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९७० |
प्रपितामहः |
The father of the father of beings (Brahma)
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९७१ |
यज्ञः |
One whose very nature is yajna
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९७२ |
यज्ञपतिः |
The Lord of all yajnas
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९७३ |
यज्वा |
The one who performs yajna
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९७४ |
यज्ञांगः |
One whose limbs are the things employed in yajna
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९७५ |
यज्ञवाहनः |
One who fulfils yajnas in complete
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९७६ |
यज्ञभृद् |
The ruler of the yajanas
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९७७ |
यज्ञकृत् |
One who performs yajna
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९७८ |
यज्ञी |
Enjoyer of yajnas
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९७९ |
यज्ञभुक् |
Receiver of all that is offered
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९८० |
यज्ञसाधनः |
One who fulfils all yajnas
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९८१ |
यज्ञान्तकृत् |
One who performs the concluding act of the yajna
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९८२ |
यज्ञगुह्यम् |
The person to be realised by yajna
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९८३ |
अन्नम् |
One who is food
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९८४ |
अन्नादः |
One who eats the food
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९८५ |
आत्मयोनिः |
The uncaused cause
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९८६ |
स्वयंजातः |
Self-born
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९८७ |
वैखानः |
The one who cut through the earth
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९८८ |
सामगायनः |
One who sings the sama songs; one who loves hearing saama chants;
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९८९ |
देवकीनन्दनः |
Son of Devaki
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९९१ |
स्रष्टा |
Creator
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९९१ |
क्षितीशः |
The Lord of the earth
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९९२ |
पापनाशनः |
Destroyer of sin
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९९३ |
शंखभृत् |
One who has the divine Pancajanya
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९९४ |
नन्दकी |
One who holds the Nandaka sword
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९९५ |
चक्री |
Carrier of Sudarsana
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९९६ |
शार्ङ्गधन्वा |
One who aims His shaarnga bow
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९९७ |
गदाधरः |
Carrier of Kaumodaki club
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९९८ |
रथांगपाणिः |
One who has the wheel of a chariot as His weapon; One with the strings of the chariot in his hands;
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९९९ |
अक्षोभ्यः |
One who cannot be annoyed by anyone
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१००० |
सर्वप्रहरणायुधः |
He who has all implements for all kinds of assault and fight
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